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Tripura Sundari's variety is not just a visual representation but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees by symbols to comprehend deeper cosmic truths.

एकस्मिन्नणिमादिभिर्विलसितं भूमी-गृहे सिद्धिभिः

॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥

क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

Day: On any thirty day period, eighth working day on the fortnight, complete moon working day and ninth day of the fortnight are said to be good times. Fridays are also Similarly great days.

ഓം ശ്രീം ഹ്രീം ക്ലീം ഐം സൗ: ഓം ഹ്രീം ശ്രീം ക എ ഐ ല ഹ്രീം ഹ സ ക ഹ ല ഹ്രീം സ ക ല ഹ്രീം സൗ: ഐം ക്ലീം ഹ്രീം ശ്രീം 

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥

The Tripurasundari temple in Tripura point out, locally often called Matabari temple, was to start with founded by Maharaja Dhanya Manikya in 1501, even though it was almost certainly a spiritual pilgrimage website for many centuries prior. This peetham of electricity was in the beginning meant to be a temple for Lord Vishnu, but as a result of a revelation which the maharaja had in a desire, He commissioned and installed Mata Tripurasundari inside its chamber.

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh website chaturthi

The intricate romance involving these teams as well as their respective roles while in the cosmic purchase is often a testament into the prosperous tapestry of Hindu mythology.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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